Chancellor

युवाओं से मेरी यह अपेक्षा है कि वे प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के ज्ञान को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विकसित करते हुए भारत की इस महान विरासत के जरिए राष्ट्र को नई दिशाएं दें।

श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े
माननीय कुलाधिपति महोदय
Vice-Chancellor

राज्य में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन तथा विकास सुनिश्चित करने के लिए कृषि महत्वपूर्ण है। यह बहुसंख्यक आबादी के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में सर्वाधिक सक्षम क्षेत्र है।

डॉ. अभय कुमार व्यास
कुलपति


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कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के बारें में

कृषि विश्वविद्यालय, कोटा (कृ. वि.को.) की स्थापना 14 सितंबर, 2013 को अधिनियम संख्या 22 की घोषणा के माध्यम से महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (मप्रकृप्रौवि), उदयपुर और स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (स्केराकृविवि), बीकानेर के विभाजन के बाद की गई थी। यह विश्वविद्यालय दक्षिण-पूर्व और पूर्वी राजस्थान में कृषि विकास के लिए बनाया गया है, जहां वर्षा आधारित से लेकर नहर सिंचित कृषि तक विविध कृषि स्थितियां हैं। विश्वविद्यालय का मुख्यालय बोरखेड़ा फार्म, कोटा में है जो कि कोटा-बारां राष्ट्रीय राजमार्ग-76 पर स्थित है। कोटा जिला राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है और आर्द्र दक्षिण-पूर्वी मैदानी क्षेत्र (कृषि जलवायु क्षेत्र V) के अंतर्गत आता है। यह 23045' और 26038' उत्तरी अक्षांश और 75037' और 77026' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। कृ. वि. को.का अधिकार क्षेत्र 6 जिलों कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, करौली और सवाई माधोपुर में फैला हुआ है। यह राज्य का 9.98% भौगोलिक क्षेत्र, 12.67% जनसंख्या, 11.26 % पशुधन संख्या, 31.59% वन क्षेत्र और 9.51 % शुद्ध बोया गया क्षेत्र है।

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विश्वविद्यालय की गतिविधियाँ



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