कृषि अनुसंधान केन्द्र उम्मेदगंज, कोटा
कृषि अनुसंधान केंद्र, उम्मेदगंज, कोटा ज़ोन V “आद्र दक्षिण पूर्वी मैदान“ में स्थित है, जो राजस्थान के दक्षिण पूर्वी हिस्से में आता है, 26.43 लाख हेक्टेयर के भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है और राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7.71 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है। यह क्षेत्र 23º45´ और 26º 33´ उत्तरी अक्षांश और 75º27´ और 77º26´ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। इसमें कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिलों की सभी तहसीलें और खंडार और सवाई माधोपुर जिले की दो तहसीलें शामिल हैं।
कृषि अनुसंधान केन्द्र उम्मेदगंज, कोटा स्टेशन कोटा से कैथून रोड पर स्थित है और यह कोटा रेलवे स्टेशन से 15 किमी दूर और रोडवेज बस स्टैंड से 13 किमी दूर है। इस स्टेशन का कार्य ज़ोन V में फसल उत्पादकता, लाभप्रदता और कृषि उत्पादन की स्थिरता को बढ़ाने के लिए बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान और विस्तार गतिविधियाँ करना है। वर्तमान में केन्द्र में राज्य गैर-योजना योजनाओं के साथ 12 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं और 6 स्वैच्छिक अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं अंतर्गत अनुसंधान कार्य किये जा रहें हैं।
उद्देश्यः
क्षेत्र में फसल उत्पादकता, लाभप्रदता और कृषि उत्पादन की स्थिरता को बढ़ाने के लिए बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान और विस्तार गतिविधियाँ करना।
महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्रः
परियोजनाएं:
कृषि अनुसंधान केन्द्र कोटा पर वर्तमान में विभिन्न फसलों/विषयों पर भारतीय कृृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित निम्नलिखित 12 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं।
क्रम सं | परियोजना | स्थापना वर्ष |
1 | अखिल भारतीय समन्वित चावल अनुसंधान परियोजना | 1975 |
2 | अखिल भारतीय समन्वित सिंचाई जल प्रबंधन अनुसंधान परियोजना | 1982 |
3 | अखिल भारतीय समन्वित अरहर अनुसंधान परियोजना | 1983 |
4 | अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना | 1987 |
5 | अखिल भारतीय समन्वित गन्ना अनुसंधान परियोजना | 1993 |
6 | अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना | 1994 |
7 | अखिल भारतीय समन्वित अलसी अनुसंधान परियोजना | 1997 |
8 | अखिल भारतीय समन्वित कृृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना | 2000 |
9 | अखिल भारतीय समन्वित चना अनुसंधान परियोजना | 2004 |
10 | अखिल भारतीय समन्वित मुलार्प अनुसंधान परियोजना | 2005 |
11 | अखिल भारतीय समन्वित मौन पालन अनुसंधान परियोजना | 2014 |
12 | अखिल भारतीय समन्वित सरसों अनुसंधान परियोजना | 2015 |
बुनियादी सुविधाएं
अनुसंधान फार्मः
यह एक मुख्य अनुसंधान केंद्र है और यहां 80.5 हेक्टेयर का एक अनुसंधान फार्म है, जिसमें से 76 हेक्टेयर पर खेती होती है। इसका शेष भाग इमारतों, सड़कों, सिंचाई चैनलों, बांधों, ट्यूबवेलों और असिंचित अपशिष्ट (नालों) के अंतर्गत है। खेत की मिट्टी बनावट में चिकनी दोमट से चिकनी मिट्टी और काले से काले भूरे रंग की है। दाहिनी मुख्य नहर की मोतीपुरा शाखा खेत में सिंचाई का मुख्य स्रोत है। इसके अलावा, फार्म में 12 ट्यूबवेलों द्वारा साल भर सुनिश्चित सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। फार्म आधुनिक मशीनरी से सुसज्जित है। फार्म का उपयोग मुख्य रूप से अनुसंधान प्रयोग और बीज उत्पादन उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशालाः
मिट्टी, पानी और पौधों के नमूनों के विश्लेषण के लिए अनुसंधान केंद्र पर मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशाला है। यह परमाणु अवशोषण स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, नाइट्रोजन विश्लेषक, आयन विश्लेषक, यूवी-विज़ स्पेक्ट्रोफोटोमीटर और फ्लेम फोटोमीटर आदि जैसे उन्नत आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है। इसमें किसानों से प्राप्त नमूनों का भी विश्लेषण किया जाता है और सिफारिश के साथ रिपोर्ट दी जाती है।
फाइटो सेनेटरी लेबः
फाइटोसैनिटरी प्रयोगशाला राज्य में एक मॉडल प्रयोगशाला है जो फाइटोसैनिटरी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कृषि-उत्पादों के विश्लेषण की सुविधा के लिए स्थापित की गई है। यह जीपीसी के साथ पीसी आधारित एचपीएलसी, एमएस के साथ गैस क्रोमैटोग्राफर, पीसी नियंत्रित-यूवी-स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, डिजिटल एक्स-रे स्कैनर, रियल टाइम पीसीआर और स्टीरियोमाइक्रोस्कोप और कंपाउंड रिसर्च माइक्रोस्कोप आदि जैसे परिष्कृत उपकरणों से सुसज्जित है।
मधुमक्खियाँ एवं कीट निदान प्रयोगशालाः
यह राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) द्वारा वित्त पोषित नव विकसित हाई-टेक प्रयोगशाला है। यह यौगिक अनुसंधान माइक्रोस्कोप, डिजिटल फोटोमेट्रिक सिस्टम के साथ स्टीरियो ज़ूम ट्रिनोकुलर माइक्रोस्कोप और कीटनाशक अवशेषों के लिए एफआईडी, टीसीडी और ईसीडी, पीसी आधारित एचपीएलसी उपकरणों आदि से सुसज्जित है। इस प्रयोगशाला की स्थापना कीट, शिकारियों और रोगजनकों की पहचान करने के लिए की गई थी। शहद में एपीस मेलिफ़ेरम रसायनों की विषाक्तता और फसलों के परागण के विभिन्न स्रोतों से उत्पादित शहद की गुणवत्ता का विश्लेषण। यह सुविधा ग्रामीण युवाओं और विस्तार कार्यकर्ताओं को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षित करने के लिए भी उपयोगी है।
पादप स्वास्थ्य क्लिनिकः
यह क्लिनिक पौधों के नमूनों के निदान और किसानों को उचित समाधान प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) के तहत विकसित किया गया है। यह ग्रोथ चैंबर, माइक्रोस्कोप, बीओडी इनक्यूबेटर, बीज जर्मिनेटर, पोर्टल पीएच और ईसी मीटर इत्यादि जैसे उन्नत उपकरणों से सुसज्जित है। यह क्लिनिक किसानों से खेतों की फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों से प्राप्त नमूनों का निदान करता है और समय-समय पर उपयुक्त सलाह प्रदान करता है।
कृषि अनुसंधान सूचना प्रणाली(कृअसूप्र) सेलः
कृषि अनुसंधान सूचना प्रणाली (एआरआईएस) सेल इंटरनेट सुविधा के साथ-साथ नेटवर्क से जुड़ी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यह जानकारी साझा करने के लिए विश्वविद्यालय मुख्यालय के साथ संपर्क के नोडल बिंदु के रूप में कार्य करता है।
कॉन्फ्रेंस हॉलः
स्टेशन में एक कॉन्फ्रेंस हॉल है जो उन्नत ऑडियो-विजुअल उपकरणों से सुसज्जित है और इसमें 100 प्रतिभागियों के बैठने की क्षमता है।
बीज प्रसंस्करण संयंत्रः
स्टेशन पर बीज प्रसंस्करण संयंत्र की क्षमता 7 क्विं/घंटा है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रीय फसलों के बीजों के प्रसंस्करण के लिए किया जाता है।
किसान छात्रावास (गेस्ट हाउस):
इस स्टेशन में एक किसान छात्रावास (गेस्ट हाउस) है जिसमें 10 वातानुकूलित कमरे, 2 छात्रावास और रसोई के साथ 1 डाइनिंग हॉल है। कुल मिलाकर गेस्ट हाउस की क्षमता 26 व्यक्तियों को ठहराने की है।
जीवंत ईकाइयां
कृषि अनुसंधान केन्द्र, उम्मेदगंज, कोटा पर समेकित कृषि प्रणाली परियोजना अन्तर्गत एक समेकित कृषि प्रणाली माॅडल की स्थापना की गई है। इस इकाई का उद्देश्य लघु व सीमांत कृषकों को कम जोत में अधिक उत्पादन एवं आय, रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा, मृदा एवं वातावरण सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कृषि से जुड़े विभिन्न आयामों जैसे फसल उत्पादन, बागवानी, पशुपालन एवं इनसे संबंधित पूरक इकाईयों का समावेश कर उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग करने के लिए माॅडल विकसित किया गया है। केन्द्र पर स्थापित 1.0 हैक्टेयर माॅडल में फसल उत्पादन (0.45 है.), अमरूद/नींबू बगीचा+अन्तशस्य सब्जियाँ (0.30 है.), गीर गाय, मुर्रा भैंस व सिरोही बकरी, हरा चारा, केंचुआ इकाई, नाडेप कम्पोस्ट, अजोला इकाई, बायो-गैस इकाई (0.25 है.) एवं बाउन्ड्री प्लांट्स (सहजन/अरडू/अनार+करौंदा+बेल वाली सब्जियाँ) आदि शामिल है।
कृषि अनुसंधान केंद्र, कोटा में महर्षि पाराशर कृषि शोध पीठ (मपाकृशोपी) के तहत जैविक और प्राकृतिक खेती मॉडल इकाई की स्थापना 2019 में की गई। इस इकाई में प्राकृतिक खेती, तरल खाद और जैव कीटनाशकों यानी जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, एवं नीम के अर्क के विभिन्न रूपों पर आधारित है। हाडौती क्षेत्र की प्रमुख फसलों के लिए जैविक और प्राकृतिक कृषि मॉड्यूल के विकास पर चल रहे प्रयोगों में, मक्खन दूध, ब्रम्हास्त्र, नीमस्त्र और अग्निस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। प्रयोगात्मक कार्यों को जारी रखा जा रहा है
कृषि अनुसंधान केंद्र, कोटा पर मधुमक्खी पालन परियोजना ईकाइ की स्थापना 2009 में की गई थी। मधुमक्खी पालन पर अनुसंधान के साथ-साथ मधुमक्खी उत्पादको के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी प्रदर्शन के लिए इस ईकाई का प्रयोग किया जा रहा हैं।
मधुमक्खी पालन करने वालों को शहद प्रोसेसिंग और बॉटलिंग की सुविधा कच्चे शहद पर 5 रू प्रति किग्रा की दर से प्रदान की जाती हैं जिससे प्रसंस्करण के बाद वे अपने शहद को अच्छे दाम पर बेचते हैं।
कृषि अनंसंधान केन्द्र, उम्मेदगंज, कोटा पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत बजट 156 लाख रू. की लागत से वर्ष 2019-20 में निर्मित इकाई है, जिसके अन्तर्गत ट्राईकोड्रर्मा बीरीडी नामक जैविक फफूंदनाशक का उत्पादन किया जाता है एवं कृषकों को उपलब्ध कराया जाता है। ट्राईकोड्रर्मा का प्रयोग बीज उपचार एवं भूमि उपचार द्वारा करके फसलों में जैविक तरीके से रोग प्रबन्धन में सहायक है। ट्राइकोडर्मा विभिन्न प्रकार की फसलों में जैसे चना, मसूर, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, मिर्च, टमाटर, बैगन, प्याज, आलू, सोयाबीन, सरसो, लहसुन आदि में लगने वाले बीजजन्य एवं भूमिजन्य जैसे उकठा, जड़ गलन, तना गलन, अंकुर गलन, कन्द सड़न, कॉलररॉट, आदि रोगो के प्रबंधन में प्रयोग करते है।
स्टाफ स्थिति
डॉ. बी.एस. मीणा
क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान
अखिल भारतीय समन्वित सरसों अनुसंधान परियोजना में कार्यरत डॉ. बी.एस. मीणा, एसोसिएट प्रोफेसर शस्य विज्ञान ने 5 अगस्त, 2024 को कृषि अनुसंधान केन्द्र, उम्मेदगंज, कोटा में कार्यवाहक क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने बी.एससी. ऑनर्स (कृषि) 1993 में एवं एम.एस.सी. शस्य विज्ञान की उपाधि 1998 में राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर से प्राप्त की। डॉ. मीना ने आईसीएआर फेलोशिप के साथ शस्य विज्ञान में पीएच.डी. की उपाधि वर्ष-2003 में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर से प्राप्त की। डॉ. मीणा ने सितंबर 1993 से 2000 तक राजस्थान के कृषि विभाग में कृषि पर्यवेक्षक के रूप में अपना केरियर शुरू किया।
डॉ. मीना ने 17 अगस्त, 2003 को कृषि विज्ञान केंद्र, कोटा में तकनीकी सहायक (कृषि) के पद पर नोकरी शुरू की। डॉ. मीना ने 15 मार्च, 2005 को कृषि विज्ञान केंद्र, बूंदी में सहायक प्रोफेसर (शस्य विज्ञान) के रूप में अपना पेशेवर केरियर शुरू किया। डॉ. मीणा को जिला स्तरीय उत्कृष्टता पुरस्कार-2005, विश्वविद्यालय प्रशंसा प्रमाण पत्र 2013, 2016, और 2017 और विश्वविद्यालय सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार-2020-21 से सम्मानित किया गया।
डॉ. मीना ने 20 फसल उत्पादन तकनीकों का विकास और व्यवसायीकरण किया और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं आदि में शोध पत्र, किताबें, लोकप्रिय लेख, मैनुअल और अन्य प्रकाशनों सहित 175 से अधिक प्रकाशन प्रकाशित किए। उन्होंने 60 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है तथा सेमिनार, कार्यशालाएं/समूह बैठक, शीतकालीन स्कूल और प्रशिक्षण और विभिन्न राष्ट्रीय पेशेवर सोसाइटी के आजीवन सदस्य भी है।
डॉ. मीना ने प्रमुख क्षेत्रीय फसलों और सरसों में पोषक तत्व प्रबंधन, सिंचाई, जैव उर्वरक, खरपतवार प्रबंधन और जैव-नियामकों में तथा जैविक खेती के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है। उन्होंने उल्लेखनीय शोध कार्य किया है और किसानों की भागीदारी के माध्यम से चार नवाचार विकसित किए हैं, जैसा कि शून्य जुताई में सुधार, स्थानीय रूप से डिजाइन किए गए बीज-सह-फर्टी-ड्रिल (इंटरक्रॉपिंग) मशीन, सोयाबीन में यांत्रिक निराई के लिए स्थानीय रूप से डिजाइन किए गए कुल्फा में संशोधन, स्थानीय रूप से डिजाइन किए गए गेंहु व सोयाबीन में बेड़ रोपण बीज फर्टी-ड्रिल क्षेत्र के कृषक समुदाय की बेहतरी के लिए संशोधित किया गया। अनुसंधान के प्रायोगिक ब्लॉक में विभिन्न फसलों के अनुसंधान प्रयोगों की बुवाई के लिए मिनी ट्रैक्टर से संचालित छोटी सीड़-ड्रिल में स्थानीय मेकेनिक की सहायता से रूपान्तर करके उपयोगी बनाया गया है।
डॉ. मीना ने विभिन्न राष्ट्रीय परियोजनाओं जैसे NICRA 2010 से 2013 तक, 2016 से 2023-24 तक आरकेवीवाई-जैविक खेती परियोजना, गन्ने पर एआईसीआरपी और रेपसीड-सरसों पर एआईसीआरपी को संभाला है और 11 अनुसंधान और विस्तार परियोजनाओं से जुड़े है। वर्तमान में वह कृषि महाविद्यालय, कोटा के शस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर रहे हैं और पिछले 5 वर्षों से यूजी और पीजी शिक्षण में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और कृषि अनुसंधान केन्द्र, कोटा, पर संचालित महर्षि पराशर कृषि शोध पीठ के कार्यों को भी देख रहे हैं।
अ) वैज्ञानिक:
क्रम सं | नाम | पद | विवरण |
1 | डाॅ. बी. एस. मीणा | क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान | कार्यवाहक |
2 | डाॅ. बी. एस. मीणा | सह आचार्य (शस्य विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-सरसों |
3 | डाॅ. के. एम. शर्मा | सह आचार्य (शस्य विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-धान, तकनीकी अनुभाग |
4 | डाॅ. एम. के शर्मा | सह आचार्य (मृदा विज्ञान) | प्रभारी-मृदा परीक्षण प्रयोगशला |
5 | डाॅ. राम राज मीणा | सह आचार्य (उद्यानिकि) | परियोजना प्रभारी-आलू |
6 | डाॅ. डी. एस. मीणा | सह आचार्य (शस्य विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-सोयाबीन |
7 | डाॅ. प्रिती वर्मा | सह आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना प्रभारी-चना |
8 | डाॅ. आर. एस. नारोलिया | सह आचार्य (शस्य विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-जल प्रबंधन |
9 | डाॅ. एस. सी. शर्मा | सह आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना प्रभारी-अरहर |
10 | डाॅ. एन. आर. कोली | सह आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना प्रभारी-गन्ना |
11 | डाॅ. जे. पी. तेतरवाल | सह आचार्य (शस्य विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-आई.एफ.एस. |
12 | डाॅ. पी. के. पी. मीणा | सह आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना-सरसों |
13 | डाॅ. बी. के. पाटीदार | सह आचार्य (कीट विज्ञान) | परियोजना-सोयाबीन |
14 | डाॅ. एच. पी. मीना | सह आचार्य (शस्य विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-गन्ना व मौसम |
15 | डाॅ. एच. पी. मेघवाल | सहा. आचार्य (कीट विज्ञान) | परियोजना प्रभारी-मधु मक्खी |
16 | डाॅ. एस. एन. मीणा | सहा. आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना-चना, फार्म इन्चार्ज |
17 | डाॅ. बी. एल. मीणा | सहा. आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना-सोयाबीन |
18 | डाॅ. संध्या | सहा. आचार्य (पादप प्रजनन) | परियोजना प्रभारी-अलसी |
19 | डाॅ. यामिनी टाक | सहा. आचार्य (जैव रसायन विज्ञान) | जैव-रसायन लैब |
20 | डाॅ. आर. के. यादव | सहा. आचार्य (मृदा विज्ञान ) | परियोजना-जल प्रबंधन |
21 | डाॅ. खजान सिंह | सहा. आचार्य (पादप प्रजनन ) | परियोजना प्रभारी-मुलार्प |
22 | डाॅ. डी. एल. यादव | सहा. आचार्य (पौध व्याधि-विज्ञान) | प्रभारी-ट्राईकोडर्मा लेब |
23 | डाॅ. मनोज कुमार | सहा. आचार्य (पादप प्रजनन ) | परियोजना-धान |
24 | डाॅ. वर्षा गुप्ता | सहा. आचार्य (शस्य विज्ञान ) | परियोजना-मुलार्प |
(ब) तकनीकी व सहायक कर्मचारी:
क्रम सं | नाम | पद | विवरण |
1 | श्री विजय राम मीणा | तकनीकी सहायक | फार्म प्रबंधक |
2 | श्रीमती मंजु मीणा | तकनीकी सहायक | परियोजना-मुलार्प |
3 | कु. सुशीला कलवानीया | तकनीकी सहायक | परियोजना-सोयाबीन |
4 | श्री पुरषोत्तम बिजारनिया | तकनीकी सहायक | परियोजना-सरसों |
5 | श्री विशाल गुप्ता | तकनीकी सहायक | परियोजना-गन्ना |
6 | श्रीमती मधुलता भास्कर | तकनीकी सहायक | परियोजना-आलु |
7 | श्री योगेन्द्र कुमार शर्मा | तकनीकी सहायक | परियोजना प्रभारी-अरहर |
8 | श्री प्रेम चन्द नागर | कृषि पर्यवेक्षक | परियोजना-जल प्रबंधन |
9 | श्री गौरी शंकर मालव | कृषि पर्यवेक्षक | परियोजना-आई.एफ.एस. |
10 | कु. राधा मीणा | कृषि पर्यवेक्षक | नोन-प्लान |
11 | श्री राम कुंवार | कृषि पर्यवेक्षक | नोन-प्लान |
12 | श्री राम फुल बैरवा | पुस्तकालय सहायक | नोन-प्लान |
13 | श्री नरेन्द्र सिंह झाला | सहायक अनुभाग अधिकारी | नोन-प्लान |
14 | श्री एल. सी. चतुर्वेदी | सहायक अनुभाग अधिकारी | अन्ता |
15 | श्रीमती कमलेश | अपर श्रेणी लिपिक | नोन-प्लान |
16 | श्री पप्पु लाल राठौड़ | वाहन चालक | नोन-प्लान |
17 | श्री नन्द किशोर सुमन | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
18 | श्री लक्ष्मी नारायण | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
19 | श्री छोटु लाल | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | परियोजना-आलू |
20 | श्री राम दयाल | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
21 | श्री राधे श्याम कुशवाहा | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
22 | श्री महावीर सुमन | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
23 | श्री धन्ना लाल सुमन | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
24 | मोहम्मद सगीर | चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
25 |
श्री राजेन्द्र शर्मा |
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी | नोन-प्लान |
नोडल अधिकारी: डॉ. चिराग गौतम
ईमेल: nodal_web@aukota.org
कृषि विश्वविद्यालय कोटा
बारां रोड, बोरखेड़ा, कोटा
दूरभाष संख्या (O) 0744-2321205
ईमेल: registrar@aukota.org