कृषि विज्ञान केंद्र,बूंदी बस स्टैंड बूंदी से लगभग 7 किलोमीटर दूर नैनवाँ रोड़ पर गाँव श्योपुरिया बावड़ी के पास स्थित है। इसकी स्थापना 30 सितंबर, 1992 में हुई थी। बूंदी जिले में पांच पंचायत समितियां शामिल हैं जिनके नाम के. पाटन, नैनवाँ, तालेड़ा, हिंडोली और बूंदी हैं। इस क्षेत्र की सबसे विशिष्ट विशेषता जिले के माध्यम से उत्तर पूर्व और दक्षिण पश्चिम दिशा में अलग-अलग ऊंचाई पर चलने वाली पहाड़ियों की दोहरी रेखा है। चम्बल इस क्षेत्र की बारहमासी नदी है जिसकी सहायक नदियाँ माँगली, घोड़ा पछाड़, मेज और तालेड़ा हैं। बूंदी को कई पवित्र स्थानों के कारण छोटी काशी के रूप में जाना जाता है और यह प्रारंभिक राजस्थान चित्रकला के विकास में अपनी प्रमुख भूमिका के लिए प्रसिद्ध है।
जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 5550 वर्ग कि.मी. है। भौगोलिक दृष्टि से यह 24.10 से 25.11° उत्तरी अक्षांश और 75.190 से 76.19° पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है, जो 872 मिमी औसत वर्षा के साथ आर्द्र दक्षिण पूर्वी मैदानी क्षेत्र V के अंतर्गत आता है। सोयाबीन, धान, मक्का, ज्वार, उड़द मुख्य खरीफ फसलें हैं ,जबकि गेहूं, चना सरसों, जौ और मसूर जिले की प्रमुख रबी फसलें हैं। जिले की मिट्टी की बनावट चिकनी से चिकनी दोमट है। फलों के पेड़ों में अमरूद, बेर, नींबू, पपीता प्रमुख फलदार पेड़ हैं जो पूरे जिले में व्यापक रूप से उगाये जाते हैं। हिंडोली तहसील में सब्जियों का उत्पादन व्यापक क्षेत्र में किया जाता है।
केवीके का उद्देश्य इसके अनुप्रयोग और क्षमता विकास के लिए प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और प्रदर्शन है। विभिन्न कृषि प्रणालियों के तहत कृषि प्रौद्योगिकियों की स्थान विशिष्टता का आकलन करने के लिए ऑन-फार्म परीक्षण। किसानों के खेतों पर प्रौद्योगिकियों की उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए प्रथम पंक्ति प्रदर्शन का आयोजन। आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों पर अपने ज्ञान और कौशल को अद्यतन करने के लिए किसानों और विस्तार कर्मियों की क्षमता विकास करना । जिले की कृषि अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में सार्वजनिक, निजी और स्वैच्छिक क्षेत्र की पहल का समर्थन करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकियों के ज्ञान और संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करें। किसानों के हित के विभिन्न विषयों पर आईसीटी और अन्य मीडिया माध्यमों का उपयोग करके कृषि सलाह प्रदान करना । सांसद(कोटा-बूंदी), जिला कलेक्टर आदि के अलावा, विभिन्न संगठनों से एक दर्जन से अधिक पुरस्कार/प्रशंसा प्रमाण पत्र भी केवीके एवं केवीके वैज्ञानिकों को प्राप्त हुए हैं।
केवीके ने बारह मॉडल प्रदर्शन इकाइयाँ विकसित की हैं जिनमें से महत्वपूर्ण हैं डेयरी प्रदर्शन इकाई , बकरी पालन इकाई, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन इकाई , गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन इकाई , वर्मी-कम्पोस्ट, अजोला इकाई , मॉडल नर्सरी इकाई , मातृ वृक्ष इकाई, फार्म पॉण्ड। ये इकाइयाँ आने वाले किसानों को एक अनुकरणीय सीखने का अनुभव प्रदान करती हैं और जिले में कृषक समुदाय के बीच इन प्रौद्योगिकियों के क्षैतिज विस्तार में भी मदद करती हैं। केंद्र द्वारा रबी एवं खरीफ में उन्नत क़िस्मों के लगभग 1000 क्विंटल बीज उत्पादन प्रतिवर्ष लिया जाता है ।
केंद्र द्वारा वित्त पोषित आर्या परियोजना (युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करना एवं बनाये रखना) द्वारा ग्रामीण युवाओं को आय का स्थिर और नियमित स्त्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2018-19 से संचालित की जा रही है। यह योजना 18-35 वर्ष के युवाओं के लिए हैं। जो कि कृषि से विमुख हो गए उनको आकर्षित करने के लिए है। कृषि विज्ञान केन्द्र, बून्दी द्वारा वर्तमान में चार आयामों में प्रशिक्षण आयोजित कर व्यवसाय स्थापित करने में मदद की जा रही है, जिनमें बकरी पालन, व्यावसायिक मुर्गी पालन, खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन तथा नर्सरी प्रबन्धन है। केन्द्र द्वारा अब तक 220 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। जिनमें से 115 युवा रोजगार प्रारम्भ कर आय अर्जित कर रहे हैं। केन्द्र द्वारा प्रशिक्षण के पश्चात् रोजगार शुरु करने में आने वाली समस्याओं को पहचान कर उनका समाधान कृषि विज्ञान केंद्र,बूंदी के वैज्ञानिकों द्वारा किये जाते हैं तथा समय-समय पर आवश्यकतानुसार तकनीकी सहयोग एवं विभिन्न उपकरण उपलब्ध करवाये जाते है।
केन्द्र की मुख्य उपलब्धियाँ:- कृषि विज्ञान केन्द्र बून्दी को वर्ष 2018 के लिए जोन-।। में सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र का पुरस्कार दिनांक 16 जुलाई, 2019 में मिला। समीक्षा दल (क्यू. आर.टी) द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र, बून्दी की गतिविधियों का अवलोकन दिनांक 10 जनवरी, 2020 को किया गया। डॉ॰ एस. एल. मेहता, चेयरमेन समीक्षा दल ने बून्दी जिले में केवीके द्वारा कृषि क्षेत्र में की जा रही विभिन्न गतिविधयों की सराहना करते हुए अच्छे कार्य करने के लिए केवीके के समस्त स्टाफ को प्रोत्साहित किया ।
नोडल अधिकारी: डॉ. चिराग गौतम
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