डॉ. अभय कुमार व्यास
कुलपति
डॉ व्यास का जन्म 1 जनवरी, 1962 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था और आपनेे अपनी स्कूली शिक्षा जोबनेर (जिला जयपुर) से पूरी की। आपने 1983 में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय, जोबनेर से यूनिवर्सिटी मेरिट गोल्ड मेडल के साथ कृषि में स्नातक (बी. एस. सी.) की उपाधि प्राप्त की। आप कॉलेज के जनरल कैप्टन और सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंड छात्र भी थे। आपने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली से उच्चतम ग्रेड के साथ शस्य विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम.एस.सी.) एवं पीएचडी की डिग्री (1983-88) प्राप्त की। 1996 में इग्नू, नई दिल्ली से प्रथम श्रेणी के साथ प्रबंधन में डिप्लोमा भी प्राप्त किया। आपका संपूर्ण शैक्षणिक रिकॉर्ड मेधावी था।
डॉ व्यास ने अपने करियर की शुरुआत जुलाई, 1988 में सहायक विकास अधिकारी (तकनीकी), नाबार्ड से की। उसके पश्चात जल्द ही राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में सहायक प्राध्यापक के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया और 1 नवंबर, 1989 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरखेड़ा, कोटा से अपनी सेवाएं प्रारंभ की। लगभग चार माह में आपका स्थानांतरण राजस्थान कृषि महाविद्यालय (आरसीए), उदयपुर में हो गया। मई, 1996 में आपको आरसीए, उदयपुर में पोस्टिंग के साथ सह-प्राध्यापक के रूप में चयन हुआ। आप अक्टूबर, 2000 में एनआरसी सोयाबीन, इंदौर में प्रधान वैज्ञानिक के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की सेवाओं में शामिल हुए। आपने फरवरी, 2010 से मार्च, 2014 के दौरान शस्य विज्ञान संभाग, आईएआरआई, नई दिल्ली के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। बाद में, आपको मार्च, 2014 में सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन प्रबंधन), आईसीएआर, नई दिल्ली के रूप में चयन हुआ जहाँ आपने 11 अक्टूबर, 2022 तक सेवाएं दी। 12 अक्टूबर, 2022 को कृषि विश्वविद्यालय, कोटा (राजस्थान) के चौथे कुलपति के रूप में पदस्थापित होने से पहले आपने सभी आईसीएआर कर्मचारियों जिसमें वैज्ञानिक, तकनीकी, वित्त सहित प्रशासनिक और कुशल सहायक कर्मचारियों के लिए, प्रभावी ढंग से प्रशिक्षण प्रबंधन प्रणाली स्थापित की। आपने अपने पूरे करियर में चयन के आधार पर विभिन्न पदों पर कार्य किया।
आपकी विशेषज्ञता का क्षेत्र सोयाबीन शस्य विज्ञान और फसल प्रणालियों में पोषक तत्व प्रबंधन है। डॉ व्यास ने फसल उत्पादकता, लाभप्रदता और टिकाउपन को बढ़ाने के लिए 26 प्रौद्योगिकियों को विकसित/ परिष्कृत किया और साथ ही निम्न ग्रेड रॉक फॉस्फेट के बेहतर उपयोग के लिए नई अवधारणा विकसित की। सोयाबीन (शस्य विज्ञान) पर एआईसीआरपी के प्रधान अन्वेषक के रूप में, 2005-10 के दौरान पूरे देश में 20 केंद्रों के तकनीकी कार्यक्रम विकसित किए और कृषि संबंधी परीक्षणों का समन्वय किया। साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए 10 कृषि-तकनीकों की सिफारिश की, जिन्हें संबंधित राज्यों के पैकेज ऑफ प्रैक्टिस में शामिल किया गया। आपने मेजर गाइड के रूप में 06 एम.एससी. और 06 पीएच.डी. छात्र-छात्राओ का मार्गदर्शन किया। आपने 12 टीवी और 24 रेडियो वार्ताओं तथा 06 एक्सटेंशन फोल्डर्स, 05 बुलेटिन, 24 लोकप्रिय लेख के माध्यम से उन्नत कृषि-तकनीकों के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया इसके अलावा, 09 किसान मेले/प्रदर्शनी/क्षेत्र दिवसों का आयोजन किया, जिससे लगभग 22,000 किसान लाभान्वित हुए।
आईसीएआर के पहले सहायक निदेशक (मा. स. प्र.) के रूप में, आपने आईसीएआर मुख्यालय में पूरी तरह कार्यात्मक मानव संसाधन प्रबंधन इकाई की स्थापना की। आईसीएआर में प्रशिक्षण की संस्थागत प्रणाली विकसित की। सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए ‘‘आईसीएआर एचआरएम नीतिः प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण‘‘ तैयार और कार्यान्वित की। आईसीएआर में पहली बार, आपने कई रणनीतिक मानव संसाधन निर्णयों की पहल और समन्वय किया जैसे प्रशिक्षण आवश्यकताओं के विश्लेषण के माध्यम से प्रशिक्षण के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण का कार्यान्वयन, प्रशिक्षणों का डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और प्रभाव मूल्यांकन। उनके द्वारा पहली बार, आईसीएआर के 65 वरिष्ठ अधिकारियों के लिए बहु-विषयक वैज्ञानिक और प्रशासनिक कर्मचारियों की अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर यात्राओं के साथ कार्यकारी विकास कार्यक्रम आयोजित किए।
2014-22 के दौरान आईसीएआर में प्रशिक्षण के प्रभावी समग्र समन्वय, कार्यान्वयन और निगरानी के परिणाम स्वरूप 3200 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से आवश्यकता के अनुसार सभी श्रेणियों के 23,000 से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। डॉ व्यास ने लगभग 546 नए विशिष्ट कार्यक्रमों के आयोजन का समन्वय किया जिसमें सभी श्रेणियों के 8067 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 79% प्रतिभागियों को या तो आईसीएआर सेवा या किसी विशेष प्रकार की भूमिका में शामिल होने के बाद किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने का पहली बार अवसर मिला। आपने सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए आवश्यकता आधारित 100 नए प्रशिक्षण मॉड्यूल के डिजाइन, विकास और प्रकाशन का कुशलतापूर्वक समन्वय किया एवं आईसीएआर के विभिन्न प्रभागों के तकनीकी कर्मचारियों के लिए कैडर प्रशिक्षण योजना (सीटीपी) आधारित अनिवार्य 47 नए प्रशिक्षण मॉड्यूल और आईसीएआर के वित्त, राजभाषा और कानूनी कर्मचारियों सहित प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए सीटीपी आधारित अनिवार्य 09 नए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किये। आपके कार्यकाल के दौरान आईसीएआर की एचआरएम पहल और उपलब्धियों को न केवल आईसीएआर द्वारा बल्कि डीओपीटी, भारत सरकार द्वारा भी मान्यता मिली और उनमें से कुछ को 2018 से आईसीएआर की भाँती केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में लागू किया जा रहा है।
डॉ व्यास द्वारा विभिन्न क्षमताओं में इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी, नई दिल्ली में सेवाएं प्रदान की जैसे: काउंसलर-राजस्थान, 1999 और 2000, काउंसलर - एम.पी. 2003 एवं 2004, संयुक्त सचिव, 2007 और 2008, उपाध्यक्ष, 2013-16 और अध्यक्ष, 2017-2020 आदि। आपने अन्य प्रोफेशनल सोसाइटीज में भी अपनी सेवाए दी जैसे सोसाइटी फॉर सोयाबीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इंदौर (2003) और इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस (आईएसएएस), नई दिल्ली (2016-2022) के उपाध्यक्ष के रूप में, सचिव, आईएसएएस (2011 और 2012), संयुक्त सचिव, आईएसएएस (2009-12) और प्रधान संपादक, एनल्स ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च, आईएसएएस, नई दिल्ली (2013-2015) के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। आपको 2007 में इंडियन सोसायटी ऑफ़ एग्रोनोमी के फेलो के रूप में चुना गया एवं शस्य विज्ञान में उत्कृष्ठ कार्यो के लिए राष्ट्रीय स्तर के इंडियन सोसायटी ऑफ़ एग्रोनोमी, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित ‘‘लाइफ टाइम एचिवमेंट अवार्ड-2021‘‘ से नवाजा गया।
डॉ व्यास ने 03 अंतर्राष्ट्रीय शस्य विज्ञान कांग्रेस, 02 अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यक्रम और 07 प्रशिक्षण कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय घटक के साथ आयोजित किए।
आपके 211 प्रकाशन हैं जिनमें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 100 शोध पत्र, 04 किताबें, 12 पुस्तक अध्याय, 06 मैनुअल, 03 प्रशिक्षण मॉड्यूल, 07 बुलेटिन शामिल हैं। आपने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और अफगानिस्तान का दौरा किया और काबुल में सार्क क्षैत्रीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।