प्राध्यापक एवं अधिष्ठाता

 डॉ. आशुतोष मिश्रा
प्राध्यापक एवं अधिष्ठाता

डॉ मिश्रा ने कृषि महाविद्यालय, एसकेयूएएसटी-जे, जम्मू में सहायक आचार्य/जूनियर वैज्ञानिक के तौर पर करीयर की शुरुवात की. अगस्त, 2007 में उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालावाड़ में सह आचार्य, फ्लोरीकल्चर के रूप में चयनित हुए और वर्तमान में (फरवरी, 2011 से) फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केपिंग विभाग में प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष के पद पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अक्टूबर, 2020 से जुलाई, 2024 तक निदेशक शिक्षा, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के रूप में कार्य किया तथा अगस्त 2024 से वर्तमान तक वे अधिष्ठाता, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालावाड़ के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा जगत से जुड़े रहने के कारण, प्रशासन, शिक्षण, अनुसंधान और प्रसार के क्षेत्र में उनका बहुत योगदान हैं।

प्रशासन:

  • अधिष्ठाता, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालावाड़
  • फ्लोरिकल्चर और लेंडस्केपिंग विभाग में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करना।
  • उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालावाड़ में प्लेसमेंट सेल के प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्य किया।
  • कृषि विश्वविद्यालय, कोटा की अकादमिक परिषद के सदस्य सचिव के रूप में कार्यरत।
  • अनुसंधान परिषद, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के सदस्य के रूप में कार्यरत।
  • कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के अध्ययन बोर्ड के सदस्य के रूप में कार्यरत।
  • उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालावाड़ के मुख्य वार्डन के रूप में कार्यरत।
  • पंजाब नेशनल बैंक प्रशिक्षण केंद्र, झालरापाटन के सलाहकार समूह में सदस्य के रूप में कार्य करना।

शिक्षण:

  • ज्वाइनिंग के बाद से लगातार यूजी और पीजी छात्रों के शिक्षण सम्बंधित कार्य।
  • यूजी और पीजी डिग्री प्रोग्राम के लिए संशोधित पाठ्यक्रम।
  • एमएससी (उद्यानिकी) फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केपिंग के 27 विद्यार्थियों के मुख्य सलाहकार तथा 11 विद्यार्थियों के सलाहकार के रूप में मार्गदर्शन किया। 
  • जूनियर रिसर्च फेलोशिप/सीनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए छात्रों को प्रेरित करने और उनकी अतिरिक्त कक्षाएं लेने में लगातार शामिल रहे हैं।

अनुसंधान:

  • ग्लेडियोलस, रजनीगंधा, गुलदाउदी और अन्य फूलों और सजावटी पौधों (130 एसपीपी) के जर्मप्लाज्म के संग्रह को मजबूत करना।
  • ग्लेडियोलस, रजनीगंधा और गुलदाउदी, गेलार्डिया जैसे कटे हुए फूलों की मानकीकृत उत्पादन तकनीक।
  • झालावाड़ की स्थिति के तहत कटे हुए फूलों के फूलदान के जीवन को बढ़ाने की मानकीकृत तकनीक।
  • झालावाड़ की परिस्थितियों में कटे हुए फूलों की विभिन्न किस्मों का मूल्यांकन किया गया और ग्लेडियोलस की 21, रजनीगंधा की 12 और कटे हुए गुलदाउदी की 15 किस्मों को आशाजनक पाया गया और इसकी खेती के लिए अनुशंसित किया जा रहा है।
  • प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में 60 से अधिक शोध पत्र, 4 तकनीकी बुलेटिन, 16 लोकप्रिय लेख और 5 पैम्फलेट और मैनुअल प्रकाशित किये।

विस्तार:

  • किसानों के लाभ के लिए केवीके और सीएचएफ, झालावाड़ द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में व्याख्यान दिया।
  • किसानों के हित के लिए आकाशवाणी, झालावाड़ में रेडियो वार्ता की।

पुरस्कार:

  • कॉलेज में उद्यानिकी में परिशुद्ध खेती पर सह-आयोजन सचिव के रूप में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया और संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए उपकार फाउंडेशन द्वारा उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • एमपीयूएटी, उदयपुर में GRISAAS-2017 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केपिंग के क्षेत्र में शिक्षण में उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त किया।
  • झालावाड़ कलेक्टर द्वारा फ्लोरीकल्चर एवं लैंडस्केपिंग के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए पुरस्कार प्राप्त किया
  • इंस्टीट्यूट ऑफ स्कॉलर्स द्वारा फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केपिंग के क्षेत्र में रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड 2021 प्राप्त हुआ।

नोडल अधिकारी

नोडल अधिकारी: डॉ. चिराग गौतम
ईमेल: nodal_web@aukota.org


सम्पर्क

कृषि विश्वविद्यालय कोटा
बारां रोड, बोरखेड़ा, कोटा
दूरभाष संख्या (O) 0744-2321205
ईमेल: registrar@aukota.org

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Last Updated on : 22/08/24